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गीत-5 / मुकेश मानस

No change in size, 13:46, 7 सितम्बर 2010
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 मैं तो भूला राग -रंग सब
तुम ही कहो प्रिये क्या गाऊँ मैं
दर्पण होता था आनन में
अब ना कानन, अब ना दर्पण
आनन अब क्या सजाऊँ मैं………॥ मैं………।।
<poem>
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