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गीत-7 / मुकेश मानस

1 byte added, 13:49, 7 सितम्बर 2010
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जब कभी तुम गीत मेरा गुनगुनाओगे
और कुछ पाओ ना पाओ , दर्द पाओगे
पत्थरों से रास्तों की, फूल -सी हैं मंजिलेंमंज़िलें
जब कभी इन रास्तों पर डगमगाओगे, और कुछ…………
जब कभी तुम आँख के मोती छिपाओगे, और कुछ……………
प्रेम का तो दर्द से रिश्ता, पुराना है
जब कभी तुम ऐसा रिश्ता तोड़ जाओगे, और कुछ……………
1992
 
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