Changes

आकार / गोबिन्द प्रसाद

900 bytes added, 11:09, 8 सितम्बर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>

कसमसाते हाथों के
बहुत क़रीब
लपटों में घिरा कोई आकार
रूठ कर चला गया
वह खोजना चाहता था
हर हथेली में समुद्र
समुद्र में चट्टान
चट्टान में सोया हुआ राग
राग में
बहती हुई मद्धिम आग
रगों में रंग भरती हुई जो फैल जाती
दिशाओं में गंध सी निराकार
लपटों में घिरा कोई आकार
<poem>
681
edits