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{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
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<poem>

पिछड़ गया था मैं ही साथी
छोड़ राह में तुम्हें अकेला
सोच-सोच दूना होता है
मन का दुख यह आज सहेला

<poem>
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