Changes

आत्‍मकथ्‍य / जयशंकर प्रसाद

3 bytes added, 00:56, 10 सितम्बर 2010
उज्‍ज्‍वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।
अरे खिल-खिलाकर हँसते हँसतने वाली उन बातों की।
मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्‍वप्‍न देकर जाग गया।
15
edits