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06:58, 10 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
वह आकाश से गिरा
पृथ्वी पर
किसी शब्द की तरह
धरती पर बिखर गया उस अर्थ की तरह
जो व्यय होकर भी
कभी व्यय नहीं हुआ
<poem>