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[[Category:गज़ल]]
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गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं
गर्मीबच निकलते हैं अगर आतिह-ए-हसरतसय्याद से हमशोला-ए-नाकाम से जल जाते हैं <br>हम चराग़ों की तरह शाम आतिश-ए-गुलफ़ाम से जल जाते हैं <br><br>
बच निकलते हैं अगर आतिहख़ुदनुमाई तो नहीं शेवा-ए-सय्याद से हम <br>शोलाअरबाब-ए-आतिश-ए-गुलफ़ाम वफ़ाजिन को जलना हो वो आराअम से जल जाते हैं <br><br>
ख़ुदनुमाई तो नहीं शेवा-ए-अरबाब-ए-वफ़ा <br>शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लियेजिन को जलना हो वो आराअम हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं <br><br>
शमा जिस आग में जलती जब भी आता है नुमाइश मेरा नाम तेरे नाम के लिये <br>साथहम उसी आग में गुमनाम जाने क्यूँ लोग मेरे नाम से जल जाते हैं <br><br>
जब भी आता है मेरा नाम तेरे नाम के साथ <br>जाने क्यूँ लोग मेरे नाम से जल जाते हैं <br><br> रब्ता बाहम पे हमें क्या न नहेंगे कहेंगे दुश्मन <br>आशना जब तेरे पैग़ाम से जल जाते हैं <br><brpoem>
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