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आ के सज्जाद / मीर तक़ी 'मीर'

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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
आ के सज्जादः नशीं<ref> किसी मस्जिद या मज़ार का प्रबंधन करने वाले की मौत के बाद उसकी गद्दी संभालने वाला</ref> क़ैस<ref>मजनूँ </ref> हुआ मेरे बाद
न रही दश्त<ref>जंगल </ref> में ख़ाली कोई जा<ref>जगह, स्थान</ref> मेरे बाद
चाक करना<ref>फाड़ना </ref> है इसी ग़म में से गिरेबान-ए-क़फ़न<ref> क़फ़न रूपी वस्त्र का गला</ref>
कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा<ref>वस्त्रों में लगाई जाने वाली गांठें </ref> मेरे बाद
वो हवाख़्वाह-एहवाख़्वाहे-चमन<ref>बग़ीचे में हवाख़ोरी करने का शौकीन शौक़ीन </ref> हूँ कि चमन में हर सुब्ह
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा<ref>सुबह की समीर </ref> मेरे बाद
तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार<ref>हर कांटे की नो नोक </ref> को ऐ दश्त-ए-जुनूंजुनूँ<ref>पागलपन के जंगल </ref>!
शायद आ जाए कोई आबला-पा<ref>जिसके पैर में छाले पड़े हों </ref> मेरे बाद
मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन<ref>उद्यान के पक्षी </ref>
हर रविश > ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद
बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो 'मीर'