Changes

होली / भारतेंदु हरिश्चंद्र

34 bytes added, 06:34, 14 सितम्बर 2010
<poem>होली/भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
कैसी होरी खिलाई।
आग तन-मन में लगाई॥
(भारतेन्दु जी की रचना ‘मुशायरा’ से)
</poem>
<math>गणितीय फ़ॉर्म्युला यहाँ निवेश करें</math>