::यह किसका उज्ज्वल प्रकाश है
::नवजीवन जन जन में छाया,
::सत्य जगा, करुणा उठ बैठी
::सिमटी मायावी की माया,
‘वैभव’ से ‘विराग’ उठ बोला--
‘चलो बढ़ो पावन चरणों में,
मानव-जीवन सफल बना लो
चढ़ पूजा के उपकरणों में।’
::जननी की कड़ियाँ तड़काता
::स्वतंत्रता के नव स्वर भरता,
::वंदनीय बापू वह आया
::कोटि कोटि चरणों को धरता;
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