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हौंसलों में फ़कत उतार सही / शेरजंग गर्ग
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02:42, 18 सितम्बर 2010
वक़्त ज्यादा ही होशियार सही
आप कितना गलत-गलत
समझे
समझें
हमको कहना है बार-बार सही
आप ही पाँचवे सवार सही
वक़्त की
त्योरिया
त्योरियाँ
भी उतरेंगी और थोड़ा
-सा
इंतज़ार सही
जो नज़ारे नज़र नहीं आते
उन
नज़रों
नज़ा
रों
की यादगार सही
नाउम्मीदी से लाख बेहतर है
द्विजेन्द्र द्विज
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