गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
काफ़ी नहीं तुम्हारा / शेरजंग गर्ग
3 bytes added
,
11:54, 18 सितम्बर 2010
सौजन्य का कदाचित तू मत शिकार होना
सब चाहते
है
हैं
वरना तुझ पर सवार होना
चुल्लू में डूबने का अब लद चुका ज़माना
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits