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सब्र का ज्वालामुखी धधका है फूटेगा ज़रूर / दीप्ति मिश्र
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08:12, 22 सितम्बर 2010
<Poem>
सब्र का ज्वालामुखी धधका है फूटेगा ज़रूर
सुर्ख़ लावा बह चला है,बाँध टूटेगा ज़रूर
लील जाएगा सभी कुछ आग का दरिया मगर
अनिल जनविजय
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