Changes

मानी / गुलज़ार

908 bytes added, 09:41, 25 सितम्बर 2010
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} {{KKCatNazm}} <poem> चौक से चल…
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>

चौक से चलकर,मंडी से,बाज़ार से होकर
लाल गली से गुज़री है कागज़ की कश्ती
बारिश के लावारिस पानी पर बैठी बेचारी कश्ती
शहर की आवारा गलियों से सहमी-सहमी पूछ रही हैं
हर कश्ती का साहिल होता है तो-
मेरा भी क्या साहिल होगा?

एक मासूम-से बच्चे ने
बेमानी को मानी देकर
रद्दी के कागज़ पर कैसा ज़ुल्म किया है
</poem>
270
edits