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सो अपने फ़न से बकाये-अबद नहीं माँगी
कबूल क़बूल वो जिसे करता वो इल्तिजा नहीं कीदुआ जो वो ना करे मुस्तरद, नहीं माँगी
मैं अपने जाम-ए-सद-चाक से बहुत खुश हूंहूँकभी अबा-ओ-कबाक़बा-ए-खिरद ख़िरद नहीं माँगी
शहीद जिस्म सलामत उठाये जाते हैं
तभी तो गोरकनों से लहद नहीं माँगी
मैं सर-बरहना रहा फ़िर फिर भी सर कशीदा रहाकभी कुलाह से तौकीद तौक़ीद-ए- सर नहीं माँगी
अता-ए-दर्द में वो भी नहीं था दिल का गरीबग़रीब`फ़राज मैनें ' मैंने भी बख्शिश बख़्शिश में हद नहीं माँगी
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