--[[सदस्य:द्विजेन्द्र द्विज|द्विजेन्द्र द्विज]]19 सितम्बर 2010
संकल्प
फ़राज़ साहब की शायरी के प्रति दीवानगी का मैं कायल हो गया. लेकिन इस ग़ज़ल के भी दो तीन शेरों में ग़लतियाँ हैं.
जो तब तक सुधारी नहीं जा सकती जब तक वास्त्विक Text सामने न हो.
--[[सदस्य:द्विजेन्द्र द्विज|द्विजेन्द्र द्विज]]