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फुटकर शेर / इंशा अल्लाह खां
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20:03, 26 सितम्बर 2010
वोह सरसे है ता नाख़ुने पा, नामे ख़ुदा गर्म ।।
'''2.'''
परतओसे
परतौसे
चाँदनी के है सहने बाग ठंडा ।
फूलों की सेज पर आ, करदे चिराग़ ठंडा ।।
'''3.'''
अनिल जनविजय
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