Changes

सड़क-पांच / ओम पुरोहित ‘कागद’

972 bytes added, 15:53, 27 सितम्बर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |संग्रह=आदमी नहीं है / ओम पुरो…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|संग्रह=आदमी नहीं है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
सड़क पर चलते
ट्रक पर लद कर
बूचड़खाने जाता
बूढ़ा बैल
ऊपर से शांत है
मगर
भीतर से
मौन नहीं है
वो
ताकत है सब को
मगर
पूछता है खुद से
क्या यही है वह सड़क
जिस के लिए
मैंने कंकर ढोए थे
और
क्या यही है वह ट्रक
जिसे गया है
मेरे ही पसीने से
और उम्र के बल?
यदि हां
तो बताओ आसमान
क्या यही है
श्रममेव जयते?
</poem>
37
edits