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15:56, 27 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|संग्रह=आदमी नहीं है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
नदी ने
कर दिया था
बरसों
पहले बंद
बीच से बह कर
पार जाना
गांव का
मगर
न जाने
कहां से आई
कब आई सड़क
और
नदी के सीने पर
रैंगती हुई
ले गई
दूर
बहुत दूर
गांव को।
</poem>