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खुद से ही बाजी लगी है / गौतम राजरिशी
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07:14, 28 सितम्बर 2010
कत्ल कर के मुस्कुराये
क्या कहें क्या सादगी है
''{मासिक वर्तमान साहित्य, अगस्त 2009}''
</poem>
Gautam rajrishi
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