573 bytes added,
06:24, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
मई की ततूरी में
जल रहे हैं मजूरों के तलुए
कोलतार की सड़कों पर
कहीं नहीं हैं बादल
जल नहीं है
सिवाय आंखों के
आंखें धूप के हमले से पनियायी हुई हैं