565 bytes added,
08:06, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जबकि जीना हो चला है
कठिन
जीने की कला की पढ़ाई के लिए
सरकार को
खोलना चाहिए विद्यालय गांव-गांव में
मरने के लिए छोड़ देना
एक खतरनाक राजनीति है