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08:13, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जीवन के कुछ ऐसे शेयर थे
बाजार में
जो घाटे के थे लेकिन
खरीदे मैंने
लाभ के लिए नहीं दौड़ा मैं
मैं कंगाल हुआ और खुश हूं
मेरे शेयर सबसे कीमती थे