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08:27, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
मदन महल की पहाड़ी पर
कुदरत का आश्चर्य
एक बड़ी सी असम्भव चट्टान
नीचे छोटी वाली पर टिकी हुई
मुझे याद हो आया बचपन
मां जैसे
अब गिरी कि तब