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08:46, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
इस कमाल अभिनय पर
हैरत में हूं
और डरा हुआ
सत्य बोलने पर
चुप थे सभी
असत्य के आते ही
करतल ध्वनि से
भर उठा था सभागार