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08:54, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बधुआ का साग
पापड़
और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के
गांव से आये पिता
लौट गये
बाजार ऐसा न था कि रोक सके