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10:01, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
खबरें जो सुनी नहीं गई ध्यान से जैसे
किसान आत्महत्या कर रहे हैं
मजदूर आत्मदाह
कामकाजी औरतें
बलात्कार से खुद को बचा नहीं पा रहीं
भ्रष्टाचार की आग
गोल इमारत में भी
चैनल गुप्त रूप से
नये-नये ऑपरेशन में सक्रिय
और लेन-देन का
विलम्ब प्रसारण
मुल्क यकीनन बदल रहा है