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10:04, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जीवन में हंसने का अनुपात
निकल आता है रोने से अधिक
मुझे याद नहीं रहते
हंसने के पल
याद है अपना हर रोना
रूलाई की स्मृति सबसे गाढ़ी है