Changes

आग्रह / श्रीनिवास श्रीकांत

17 bytes added, 12:14, 29 सितम्बर 2010
aagrah
}}
<poem>aagrah
(मित्रों से क्षमा सहित)
मित्रो, मैं मर जाऊँ
सहज ही समझ जाएँगी
मैं था एक ज़हरीला साँप।
</poem>Mukesh Negi
17
edits