<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2> <font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td> '''शीर्षक : ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमेंएक नाम अधरों पर आया<br> '''रचनाकार:''' [[शहरयारकन्हैयालाल नंदन]]</td>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें एक नाम अधरों पर आयाये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें अंग-अंग चन्दन वन हो गया।
सुर्ख़ फूलों से महक उठती बोल हैं दिल कि वेद की राहें ऋचाएँ?दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें साँसों में सूरज उग आएआँखों में ऋतुपति के छन्दतैरने लगेमन सारा नील गगन हो गया।
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से गन्ध गुंथी बाहों का घेरारात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें जैसे मधुमास का सवेराफूलों की भाषा मेंदेह बोलने लगीपूजा का एक जतन हो गया।
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमेंपानी पर खींचकर लकींरेंकाट नहीं सकते जंज़ीरें।आसपासअजनबी अंधेरों के डेरे हैंअग्निबिन्दु और सघन हो गया!
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