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हरेक बागे अदब में बहार है हिन्दी / जयकृष्ण राय तुषार
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10:19, 4 अक्टूबर 2010
महक खुलूस की आती है इसके नग्मों से<br />
किसी हसीन की वीणा का तार है हिन्दी
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हिमांशु Himanshu
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