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मुझको हरित बनाओ अब / रमा द्विवेदी
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16:45, 28 मई 2007
मुझको हरित बनाओ अब, पुकार यह लगा रही॥<br><br>
जिसनें दिया तुम्हें जन्म है,उसको न
यूं
यूँ
सताओ तुम,<br>जन्मने का हक़ उसे भी दो,
यूं
यूँ
भ्रूण न मिटाओ तुम,<br>
सृष्टि चलेगी उससे ही, बस बात यह बता रही।<br>
मुझको हरित बनाओ अब, पुकार यह लगा रही॥<br><br>
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Ramadwivedi