|संग्रह=लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू
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मेरा है सिर्फ सिर्फ़ मेरासोचते -सोचते उसे दे दिए
उँगलियों के नाखून
रोओं में बहती नदियाँ
और एक दिन छलाँग लगा चुके थे
सागर-महासागरों में तैर -तैरलौट -लौट आते उसके पैर
मैं बिछ जाती
मेरा नाम सिर्फ सिर्फ़ ज़मीन थामेरी सोच थी सिर्फ सिर्फ़ उसके मेरे होने की
एक दिन वह लेटा हुआ
बहुत बेखबर बेख़बर कि उसके बदन से है टपकता कीचड़सिर्फ सिर्फ़ मैं देखती लगातार अपना
कीचड़ बनना अर्थ खोना ज़मीन का.
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