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युद्ध -विराम के सैनिकबाद भीअब शांति के सजग प्रहरी हैंअविरामजो जहाँ आक्रमण कर रहा हैऔर साहस से वहाँ खड़े हैंपाकिस्तानतब तक न हटने के लिएमान कर भीजब तक आतंक पलायन न नहीं मान रहाराष्ट्र-संघ का आदेशअब भी कर जायरहा है वारऔर सुबह की धूपदुर्निवार,फिर न हँसने लग जायधुँआधारघायल दिनहत्या का प्रसारस्वस्थ और चंगा न हो जायअनवरत संहारभारतीय सीमा का अतिक्रमणकोअसंभव न हो जाय।कर रहा है पार।
कायरों का नहीं-वीरों का भारतकहीं करता हैशांति का सशक्त मोरचा बन गया आसमानी उल्कापातकहीं करता हैविस्फोटक आघातगरुणगामी वायुयानों काकहीं करता हैदिग्गज टैंकों अबोध नगरों काविध्वंसआग उगलती बंदूकों कहीं करता हैगरीब गाँवों काआहारपाकिस्तानने छोड़ दी है पढ़ना कुराननमाजी नहीं रह गयाउसका ईमानउस पर सवार हैकोई शैतानवह हो गया हैअमोघ शस्त्रास्त्रों का।सरकार की शक्ल में हैवान
यह मोरचा भीमर रहे हैं उसके मारेशत्रु की मृत्यु गिरजा और अस्पतालजालिम कारनामों का मोरचा बिछ गया हैअखंड भारत केअखंड विश्वास का मोरचा है।जाल
न टूटने वाला यह मोरचाइतना सब हुआशांति के पर्व कारक्त और हृदय के कमल काहो रहा हैभारतीय संस्कृति के मेरुदंड का,इस पर भीजय और विजय काअपना धैर्य भारत नहीं खो रहा हैस्थितप्रज्ञ अपना देशसहता है कदाचारइस पर भीअनुपम मोरचा है।करता नहीं अनाचार
कर सकता हैउस परपुनर्वार वह उस पर बज्र-प्रहारले सकता है बदला बल सेदे सकता है हारकिंतु उसे रोके हैं उसकेजीवन के संस्कारशांति शील के सत्य विचारजब आएगा समयऔर अवसर आएगाबिना किए आक्रमणन भारत बच पाएगातब वह युद्ध करेगाबल का बदला बल से लेगायुद्ध-विराम तोड़कर-आगे उमड़ पड़ेगाजहाँ धरेंगे चरणसमर-सैनिक-सेनानीझंडा वहाँ गड़ेगाहारेगा दल-बादल-पाकिस्तानीजय का वरण करेगा भारतज्ञानी '''रचनाकाल: २५२९-०९-२९६५१९६५'''
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