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मैं पूछता हूँ/ पाश

6 bytes added, 23:39, 29 अक्टूबर 2010
<poem>
मैं पूछता हूँ आसमान में उड़ते हुए सूरज से
की क्या वक्त इसी का नाम है
कि घटनाए कुचलती चली जाए
मस्त हाथी की तरह
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