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पहली किरण / सत्यनारायण सोनी
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|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी
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<
poem
Poem
>सूरज की
पहली किरण
लपकने की होड़ में
उचकीं,
मंदिर के गुम्बद
ऊपर
उठे।
उठे ।
और इस
होड़ाहोड़ी
होड़ा-होड़ी
में
लोगों ने
अगले दिन का सूरज नहीं
देखा।
देखा ।
</poem>
अनिल जनविजय
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