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छात री बात / विनोद स्वामी

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= विनोद स्वामी |संग्रह=}}[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>छात रै मोरै मांखर
सूरज देख्यो म्हारै कानी
बोल्यो-
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