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नारो / विनोद स्वामी
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|रचनाकार= विनोद स्वामी
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poem
Poem
>गळी रै कादै कनै
भींत पर लिख्योड़ो नारो
पांयचा टांग्यां खड़्यो है-
'बूंद-बूंद पाणी बचाओ।'
</poem>
अनिल जनविजय
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