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जिन्दगी / विनोद स्वामी
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|रचनाकार= विनोद स्वामी
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<
poem
Poem
>
जिन्दगी
ज़िन्दगी
घास है
जिसे
वक्त
वक़्त
का घोड़ा
चर रहा है
थोड़ा -थोड़ा।
</poem>
अनिल जनविजय
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