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हरापन नहीं टूटेगा / रमेश रंजक
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19:33, 5 नवम्बर 2010
वक्ष के ऊपर गढ़ी हैं
बन्धु!
ज्ब
जब
-तक
दर्द का यह स्रोत-सावन नहीं टूटेगा
हरापन नहीं टूटेगा
</poem>
अनिल जनविजय
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