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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
उम्र गुज़रेगी इंतहान इम्तहान में क्या?
दाग ही देंगे मुझको दान में क्या?
मेरी हर बात बेअसर ही रही
नक्स नुक्स है कुछ मेरे बयान में क्या?
मुझको तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है खानदान मे क्या?
अपनी महरूमिया छुपाते है
कोई रहता है आसमान में क्या?
है नसीम-ए-बहार गर्दालूगर्दालूद
खाक उड़ती है उस मकान में क्या