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मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
हर दिशि केवल मृगजल -मृगजल!
प्रतिमाओं का इतिहास यही
खौलते हुए उन्मादों को
अनुप्रास बने अपराधों को
निश्चित है बांध बाँध न पाएगाझीने-से रेशम का आंचलआँचल!
भींगी भीगी पलकें भींगा भीगा तकिया
भावुकता ने उपहार दिया
सिर माथे चढा इसे भी तू
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!
</poem>
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