Changes

चाहे बना लो रेत के कितने घरौंदे तुम,
वक़्त के उबाल में ढ़ह ढह जाए ज़िन्दगी।
जिनका वजूद रेत के तले दबा दिया,
उनको ही चट्टान बनाए यह ज़िन्दगी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,629
edits