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अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण
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17:10, 11 नवम्बर 2010
बस आवरण बस आवरण
रतियोजना से गत
प्रहार
प्रहर
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण </poem>
Kumar anil
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