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अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण

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बस आवरण बस आवरण
रतियोजना से गत प्रहारप्रहर
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण </poem>
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