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नीति के दोहे / कबीर
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11:30, 14 मई 2008
जिन ढूँढा तिन पाइयॉं, गहरे पानी पैठ।
मैं
बौरी ढूँढ़न गई
बपुरा बूडन डरा
,
रही
रहा
किनारे बैठ।।
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