Changes

अब वह नहीं आती / अनिल जनविजय

25 bytes removed, 07:42, 17 नवम्बर 2010
<poem>
'''(रोज़ी वट्टा के लिए)
 
एक अरसा बीत गया
लापरवाह अपने चारों ओर से
ढूँढ रही हो ज्यों मुझे भोर से
 
प्रेम में मेरे डूबी थी ऐसे
उसकी याद आती है
'''(1984 में रचित)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits