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यार बिन तल्ख़ ज़िंदगनी थी / मीर तक़ी 'मीर'
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15:15, 17 नवम्बर 2010
}}
यार बिन तल्ख़
ज़िंदगनी
जिंदगानी
थी<br>
दोस्ती मुद्दई-ए-जानी थी<br><br>
शेब में फ़ायदा त'म्मुल का<br>
सोचना तब था
हब
जब
जवानी थी<br><br>
मेरे क़िस्से से सब की नींदें गईं<br>
आशिष पुरोहित
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