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|रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
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<Poempoem>
शोक विह्वल लालू साहू
आपनी पत्नी की चिता में
भावात्मक साक्ष्य देना होगा बाहर जाकर ?
'''(1976 में रचित), (जब नागार्जुन इमरजेंसी के दौरान जेल में थे)
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