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वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है / अहमद कमाल 'परवाज़ी'
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01:26, 19 नवम्बर 2010
बहुत कठिन है मगर तू निकाल लेता है,
मैं इसलिए भी तेरे फ़न
की
क़
द्र
क़द्र
करता हूँ,
तू झूठ बोल के आंसू निकाल लेता है,
द्विजेन्द्र द्विज
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