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दस दोहे (61-70) / चंद्रसिंह बिरकाली
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10:24, 19 नवम्बर 2010
छतों के नालों से पड़ता हुआ पानी छोटी नालियों में कूदता हुआ बड़े नालों में मिलकर बहता है और तालाबों की आशा पूरी करता है।
टप-टप चूवै आसरा टप-टप विरही नैण।
झप-झप पळका बीज रा झप-झप हिवड़ो सैण।। 65।।
आशिष पुरोहित
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